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आत्म विश्लेषण कर भीड़ की सोच से हटकर व्यक्तिगत सोच का निर्माण , एवं दी गई सलाहों की गुणवत्ता पहचानने की क्षमता का विकास करने की आवश्यकता है। अंधानुकरण की मनोवृत्ति से हटकर स्वयं का मार्ग प्रशस्त करने की आवश्यकता है।
यही सुखी एवं समृद्ध जीवन का सार है ।

धन्यवाद !

बहुत सुंदर सर

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