Comments (10)
20 Jan 2021 09:44 PM
मनुष्य की फितरत में यह कैसे समा गया है कि चाहे साथ ना भी ले जा सके, बच्चों की सात पीढ़ियों के लिए हो जाए,बस इसी में जुटा हुआ है!सादर प्रणाम सच से रूबरू कराने के लिए।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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20 Jan 2021 09:55 PM
आपको सादर प्रणाम,आपके आशीर्वाद से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है।मैं बहुत आभारी हूं। बहुत बहुत धन्यवाद सर।
20 Jan 2021 10:29 AM
सुंदर चिंतन !
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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20 Jan 2021 11:57 AM
आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर
20 Jan 2021 10:13 AM
बहुत सुंदर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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20 Jan 2021 10:27 AM
आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर
20 Jan 2021 09:06 AM
बहुत खूब !
खुश़ाम़दीद !
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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20 Jan 2021 09:33 AM
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद ऊ
पानी केरा बुलबुला अस मानस की जात…..
सुंदर संदेश । नमस्कार
आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर