सर हम आपका काम है जहां गड्डा बन जाय उसे भर देना किन्तु जब लोगों को ही ऊबड़खाबड़ में चलने में अच्छा लगे , तो फिर हम आपको हॉस्पिटल खोलना ही पड़ेगा ।
इसलिए सर में कोशिस करता हूँ कि या तो गड्डा भर जाय या फिर हॉस्पिटल में अपनी सेवा दूँ क्योकि हर समाज का हम हिस्सा हैं ।
इस रचना के माध्यम से वर्तमान परिवेश पर सटीक टिप्पणी एवं कटाक्ष किया गया प्रतीत होता है जो शायद अनुकूल भी है!सादर नमस्कार प्रशांत जी।
सर हम आपका काम है जहां गड्डा बन जाय उसे भर देना किन्तु जब लोगों को ही ऊबड़खाबड़ में चलने में अच्छा लगे , तो फिर हम आपको हॉस्पिटल खोलना ही पड़ेगा ।
इसलिए सर में कोशिस करता हूँ कि या तो गड्डा भर जाय या फिर हॉस्पिटल में अपनी सेवा दूँ क्योकि हर समाज का हम हिस्सा हैं ।