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Comments (6)

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14 Jan 2021 10:43 PM

प्रशांत जी, तेरे राम और मेरे राम के तुलनात्मक विवेचना एवं उनके गुण-अवगुण की समीक्षा के द्वारा रचित रचना में व्यक्ति तो एक ही है किन्तु उनके कार्य में एकरुपता नहीं, हां यह एक सीमा तक ठीक भी लगता है, लेकिन परिस्थितियों को घ्यान से देखें तो वह व्यवहारिक पक्ष को उजागर करते नजर आते हैं,समय के अनुरूप स्वयं को कैसे ढालना चाहिए का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे होते हैं! आप ने काफी तर्क संगत रुप से परिभाषित किया है, मैं शायद यह व्यक्त करने में सक्षम नहीं हूं फिर भी राम को एक सीमित दायरे में नहीं रखा जा सकता!,सादर अभिवादन।

व्यक्ति भी एक है उसके कार्य भी एक किन्तु व्यक्ति परिस्थितियों में बंधा होता है और एक राजा को समाज को नियम बद्द ढंग से चलाने के लिए पहले स्वयं को परिस्थितियों से जीतना होता है । इसी कारण व्यक्ति को कभी कभी ऐसे काम भी करने पड़ते हैं जो मानवीयता के अनुकूल नही होते किन्तु समाज को नियम वद्द करने के लिए करने पड़ते हैं अन्यथा समाज विखर जाएगा ,समाज को उदाहरण नही मिलेगा जिसका वो अनुसरण कर सकें । कुछ विद्वान लोग उन परिस्थितियों को नियति समझ उनमें भी सकारात्मकता खोज समाज के लिए सकारात्मक भविष्य पथ तैयार करते है और कुछ दुष्ट लोग उन्ही परिस्थितियों को सत्य मानकर हर बार उसी नकारात्मक कार्य को दोहराते है ,उसी की आड़ में।

सटीक सहज व्याख्या पूर्ण सुन्दरतम् विवेचना। बधाई।

धन्यवाद सर

14 Jan 2021 12:39 PM

वाह बहुत उम्दा ।

धन्यवाद सर

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