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13 Jan 2021 12:24 PM

परम पिता परमेश्वर के सृजन में मानव जीवन की श्रेष्ठता को शायद इस लिए महत्वपूर्ण माना गया है कि हम विचार शील प्राणी हैं, और अन्य सभी जीव अपने को मानवीय कृत्यों पर या तो आश्रित हैं या पीड़ित, हमने अपने हितों के अनुकूल जीवों का उपयोग या संहार करने का कार्य किया है, बिना इस विचार के कि इससे दूसरे पर क्या प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, और यही काम हम मनुष्य के साथ भी कर रहे हैं, जो दीन हीन हैं उन्हें अपने हितों के लिए उपयोग कर उसकी निजता का हनन करने में लगे हैं, आपकी रचना में आपके द्वारा सबसे क्षमायाचना के साथ उनके महत्व को स्वीकार्यता प्रदान की गई है,आपका अभिनन्दन करते हुए सादर प्रणाम श्रीमान चतुर्वेदी जी।

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर।

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