अति सुंदर
धन्यवाद !
बहुत सुनदर कया कहना यही तो राज निती है
धन्यवाद !
श्याम सुंदर जी आपकी लघुकथा में एक ऐसे,समाज का चित्रण है जो किसी इंसान के सड़क पर पड़े होने शंकित नजर से उसे मृत्य,समझ कर उसके हालात को जाने बिना ही हुड़दंग मचाने लगता है, और तत पश्चात प्रशासनिक कार्य वाही के माध्यम से निपटाने में लग जाता है, किंतु उसकी सघन जांच नहीं करता, ना ही उसे चिकित्सा मुहैय्या कराने में दिलचस्पी लेता है जिसकी परिणति तब अंजाम पर पहुंचती है जब चिकित्सक उसके परिक्षण में उसे मृतक घोषित नहीं करता! यहां पर दोनों ही प्रकार के चरित्र सामने आते हैं,लोग अच्छे भी है और बुरे भी,बस उन्हें दिशा देने वाले पर निर्भर करता है! सादर अभिवादन श्रीमान जी को।
धन्यवाद !
नैतिकता की दृष्टि से एक बात कही गयी है, पत्रकार , कलमकार , बुद्धिजीवी आदि को विपक्ष के साथ रहना चाहिए। पर यहाँ तो मामला ही अलग है।
यदि विपक्ष अनैतिक गतिविधियों में संलग्न हो , तो उसका साथ कैसे दिया जा सकता है। यदि विपक्ष मुद्दों पर राजनीति करने के बजाए वोटों की राजनीति करने पर उतारू हो कर सड़कों पर आकर राजनीति करने लगे तो उसका समर्थन कैसे किया जा सकता है। इस तरह की राजनीति विपक्ष की कमजोरी को परिलक्षित करती है। विपक्ष को आत्म मंथन कर स्वयं को मजबूत बनाना पड़ेगा और सड़क की राजनीति की अपेक्षा संसद में मुद्दों को उठाकर जनता का विश्वास जीतना होगा। दरअसल कमजोर विपक्ष की वजह से सत्ता पक्ष निरंकुश हो गया है और कमजोर विपक्ष संसद में मूकदर्शक बनकर रह गया है। जब तक विपक्ष संगठित होकर शासन का सामना नहीं करता तब तक यह स्थिति बनी रहेगी। और निरंकुश शासन को भोगने के लिए निरीह जनता को बाध्य होना पड़ेगा ।
सत्य और असत्य की वास्तविक पहचान कराता लेख”” सड़क की राजनीति””सुंदर भावो से गूंथा लेख प्रेरित करता है हमें कोन सा पथ अपनाना है।प्रणाम!
धन्यवाद !
भीड़ की मानसिकता दर्शाती सुंदर कृति। भीड़ सदैव विवेक हीन होती है।और आज का सिस्टम…………….
धन्यवाद !
राजनीति में हमेशा मासूम भोले भाले गरीबों का ही हनन होता है, जिस पर सभी राजनीतिक नेता अपनी राजनीति की रोटियां सेकते हैं..
एक छोटी सी लघु कथा के माध्यम से आपने जो व्याख्या की है वह बहुत ही सुंदर है. सादर आभार??
धन्यवाद !
बहुत सुंदर सर, सही बात है, सड़क छाप राजनीति देश में हावी है।हर एक अपनी तरह से बिना सिर पैर के मुद्दे भड़का कर अपने उल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं, राजनीति का स्तर बहुत गिर गया है। आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
आजकल विपक्ष की राजनीति का स्तर इतना गिर गया है , यह संदेश जनता में प्रस्तुत करने का व्यंग पूर्ण प्रयास है।
सकारात्मक सोच आपकी. साधुवाद
प्रोत्साहन का साधुवाद !