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Comments (8)

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12 Feb 2021 10:43 AM

बहुत ही अच्छा?,
कृपया मेरी कविता’मैं इश्कबाज़ नहीं’ को पढ़ें व प्रतिक्रिया दे उत्साहवर्धन करें?

9 Jan 2021 03:17 PM

व्यंग्यकार ने अपने व्यंग्य में कितने ही प्रतिमानों का उदाहरण के साथ बहुत अच्छे से परिभाषित किया है,सादर अभिवादन श्रीमान।

अत्यन्त प्रभावशाली प्रस्तुति, नमन जी ..! आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरी रचना “कोरोना को तो हरगिज़ है अब ख़त्म होना ” पर भी दृष्टिपात करने की कृपा करें एवं यदि रचना पसन्द आए तो कृपया वोट देकर कृतार्थ करें..!
साभार..!???

8 Jan 2021 06:36 PM

प्रासंगिक व्यंग्यात्मक गजल। साधुवाद। कृपया मेरी रचनाओं का भी अवलोकन कर उचित प्रतिक्रिया देवें व प्रेरित करें।

बहुत सुंदर,नमन जी को सादर नमन।

8 Jan 2021 06:08 PM

वाह वाह! बहुत सुन्दर ग़ज़ल वासुदेवजी ..शुभकामनाएँ ?? मेरी रचना “कोरोना बनाम क्यों रोना” का भी अवलोकन करके अपना बहुमूल्य वोट देकर अनुगृहित करें ?

8 Jan 2021 06:06 PM

नमन जी को नमन! सुंदर गजल धन्यवाद! आशा करते हैं हमारी रचनाओं का भी आप अवलोकन करेंगे!!

अतिसुंदर !

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