Comments (8)
9 Jan 2021 03:17 PM
व्यंग्यकार ने अपने व्यंग्य में कितने ही प्रतिमानों का उदाहरण के साथ बहुत अच्छे से परिभाषित किया है,सादर अभिवादन श्रीमान।
8 Jan 2021 07:25 PM
अत्यन्त प्रभावशाली प्रस्तुति, नमन जी ..! आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरी रचना “कोरोना को तो हरगिज़ है अब ख़त्म होना ” पर भी दृष्टिपात करने की कृपा करें एवं यदि रचना पसन्द आए तो कृपया वोट देकर कृतार्थ करें..!
साभार..!???
8 Jan 2021 06:36 PM
प्रासंगिक व्यंग्यात्मक गजल। साधुवाद। कृपया मेरी रचनाओं का भी अवलोकन कर उचित प्रतिक्रिया देवें व प्रेरित करें।
8 Jan 2021 06:26 PM
बहुत सुंदर,नमन जी को सादर नमन।
8 Jan 2021 06:08 PM
वाह वाह! बहुत सुन्दर ग़ज़ल वासुदेवजी ..शुभकामनाएँ ?? मेरी रचना “कोरोना बनाम क्यों रोना” का भी अवलोकन करके अपना बहुमूल्य वोट देकर अनुगृहित करें ?
8 Jan 2021 06:06 PM
नमन जी को नमन! सुंदर गजल धन्यवाद! आशा करते हैं हमारी रचनाओं का भी आप अवलोकन करेंगे!!
8 Jan 2021 06:03 PM
अतिसुंदर !
बहुत ही अच्छा?,
कृपया मेरी कविता’मैं इश्कबाज़ नहीं’ को पढ़ें व प्रतिक्रिया दे उत्साहवर्धन करें?