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बहुत खूब !

आप की पेश़कश को मैंने अपने अल्फ़ाजों में पेश़ किया है , क़ुब़ूल फ़रम़ाऐं :

तुझसे नज़रें क्या मिलीं ये मेरी खता हो गई ,
बेसबब क्यूँ , तू मुझसे यूँ खफ़ा हो गई ,
रक़ीब को अपना बना तू ,
क्यू्ँ मेरी जिंदगी से दफ़ा हो गई ,
क्यूँ ना तेरी फितरत जान सका मैं ,
ये कैसी मुझसे खता हो गई ,
वक़्त की ग़र्दिश ने इस कदर मारा मुझको ,
इश्क़ मेरे लिए इक कज़ा हो गई ,
लाख कोशिशें कीं ये दिल बहलता नहीं ,
अब तो ये ज़िंदगी इक सज़ा बन गई ,

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