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3 Jan 2021 10:59 AM

मनुष्य के आचरण एवं हाव भाव ने जब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी तो उसने अपने स्वभाव में परिवर्तन करके हमें हिदायत देते हुए संकेत किया है, किन्तु अति महत्वाकांक्षी मनुष्य सुधरने की राह पर चलने को तैयार नहीं है! सादर अभिवादन श्रीमान चतुर्वेदी जी।

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

बहुत ही खूबसूरत रचना वाह कया कहना

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर

खूब , बेहतरीन शब्द चित्रण।

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर

अतिसुंदर भावयुक्त संदेशपूर्ण प्रस्तुति !

धन्यवाद !

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

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