Comments (8)
3 Jan 2021 10:13 AM
बहुत ही खूबसूरत रचना वाह कया कहना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Author
3 Jan 2021 04:30 PM
आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर
3 Jan 2021 09:33 AM
खूब , बेहतरीन शब्द चित्रण।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Author
3 Jan 2021 04:30 PM
आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर
3 Jan 2021 09:22 AM
अतिसुंदर भावयुक्त संदेशपूर्ण प्रस्तुति !
धन्यवाद !
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Author
3 Jan 2021 04:30 PM
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
मनुष्य के आचरण एवं हाव भाव ने जब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी तो उसने अपने स्वभाव में परिवर्तन करके हमें हिदायत देते हुए संकेत किया है, किन्तु अति महत्वाकांक्षी मनुष्य सुधरने की राह पर चलने को तैयार नहीं है! सादर अभिवादन श्रीमान चतुर्वेदी जी।
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर