जीवन दर्शन प्रस्तुति! सामान्य नागरिकों को इन्ही कसोटियों पर से रुबरु होकर जीने का प्रयास करना पड़ता है! सफलता उसके प्रारब्ध पर निर्भर करती है, असफलता उसे जुझने का हौसला या बिखरने की राह के सम्मुख खडी कर देती है,बस यहीं उसे एक सहारे की दरकार रहती है और समर्थ के सामने पुण्य का अवसर, चुनाव दोनों के को करना है!समय प्रतिक्षा नहीं करता परिक्षा अवश्य लेता है! सादर नमस्कार श्रीमान श्याम सुंदर जी,नव वर्ष की मंगलमय कामनाओं सहित।
नववर्ष की शुभकामनाओं सहित धन्यवाद !
सुंदर रचना। कृपया आप भी मेरी रचना “कोरोना(ग़ज़ल)” पढ़ें और अपना बहुमूल्य वोट देकर मुझे अनुगृहीत करें। धन्यवाद।
मैंने आपको वोट कर दिया है।
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बहुत सुन्दर
धन्यवाद !
बहुत सुंदर रचना!!
धन्यवाद !
सुंदर कविता !! धन्यवाद!
धन्यवाद !
बहुत सुंदर जीवन दर्शन।
धन्यवाद !
बहुत सुंदर प्रस्तुति
धन्यवाद !
बहुत सुंदर सर नमस्कार।
धन्यवाद !
बहुत खूब
श़ुक्रिया !