Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (4)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
5 Dec 2020 10:55 PM

शब्द पर विस्तृत व्याख्या और उसका मर्म बहुत उपयोगी है! आज ही एक और रचना पढ़ने को मिली ढाई आखर! यह शब्द उसी का एक मुखड़ा है! इसमें इतना कुछ समाया हुआ है कि सृष्टि भी उसी में निहित है!

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

शब्द की महत्ता पर व्याख्यापूर्ण सुंदर प्रस्तुति।

धन्यवाद !

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

Loading...