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31 Oct 2021 12:19 PM

अति सुन्दर प्रस्तुति..सर जी!

28 Nov 2020 11:21 AM

आम आदमी की दिनचर्या ही यही है!

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

27 Nov 2020 11:36 AM

अति सुन्दर

आपको सादर अभिवादन धन्यवाद सर

बहुत सुंदर लिखा है ।
मन माया में ।

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

27 Nov 2020 09:38 AM

यह मानव का स्वभाव है हम अधिक से अधिक पाने के लोभ में पड़े रहते हैं, शायद इसी को मृगतृष्णा इसीलिए कहते हैं! मानवीय संवेदनाओं और आकांक्षाओं को परिभाषित किया गया है,सादर प्रणाम।

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

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