वर्तमान समय में वातावरण को प्रदूषित करने में पटाखे जलाने से बचने का कोई उपाय तब तक नहीं होगा जब तक कि हम इसे धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात समझने का लोभ संवरण नहीं करते, आज कल इस पर प्रतिबंध लगाने पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई जाती है, जबकि इससे पहले लोगों में इनके प्रति इतना लगाव नहीं होता था, हां पकवान बनाकर उसका आदान-प्रदान किया जाना, आगंतुकों की मेहमान नवाजी, और पारंपरिक रिवाज अपना कर इसका आनन्द उठाया जाता रहा है, लेकिन अब परिदृश्य बदल रहा है, अपने घर तक सीमित रहने लगे हैं, और औपचारिकता के लिए बाजारु उपहार भेंट करके नये रश्म रिवाज बनाने लगे हैं, आपकी चिंता जायज है, और आप जैसे बुद्धि जीवी नागरिकों के द्वारा ही भविष्य में कोई सुधार लाया जा सकता है,सादर अभिवादन श्रीमान चतुर्वेदी जी।
आपको सादर प्रणाम दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। पहले आदान-प्रदान होता था, सादगी शांति संतोष आनंद था, अब दिखाबा है।जो चीजें नुकसान पहुंचा रही है कर्मों न बदली जाएं। आपको बहुत बहुत धन्यवाद सर।
सब फॉरमैलिटी है । बहुत बढ़िया ।
प्रणाम
आपको सादर अभिवादन धन्यवाद सर
सत्य वचन !
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर