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जब फ़ितरत को समझने की होशियारी ना होगी , तब-तब फ़रेब खाने का ग़म और लाचारी होगी ,
श़ुक्रिया !
जब फ़ितरत को समझने की होशियारी ना होगी ,
तब-तब फ़रेब खाने का ग़म और लाचारी होगी ,
श़ुक्रिया !