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Comments (16)

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10 Sep 2020 11:41 PM

प्ररेणा प्रद रचना है,जन सामान्य जो राह भटक जाते हैं, उन्हें इससे लाभ होगा! सादर प्रणाम!

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

10 Sep 2020 10:09 PM

Bahut shandar sir

आपको सादर अभिवादन धन्यवाद

10 Sep 2020 09:34 PM

वास्तव में!?

खुशी रहो नर्मदे हर

10 Sep 2020 04:11 PM

बहुत सुंदर

आपको सादर अभिवादन धन्यवाद सर

10 Sep 2020 02:33 PM

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा
जो जस कीन्ह सो तस फल चाखा ।
– गोस्वामीजी
अति सुंदर । नमस्कार

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

10 Sep 2020 01:27 PM

यथार्थपूर्ण संदेश युक्त प्रस्तुति ।
धन्यवाद !

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद

अत्यधिक सकारात्मक सोच

आपका हृदय से आभार धन्यवाद सर

राहेंं अनजान सही , ग़र इरादे मज़बूत हों तो श़िद्दत -ए- सफ़र में कामय़ाबी की मंज़िल ख़ुद ब ख़ुद हासिल होती है ।

श़ुक्रिया !

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर

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