प्रकृति के विभिन्न रूपों एवं गुणों से परिभाषित गुरु धर्म की सुंदर प्रस्तुति।
धन्यवाद !
धन्यवाद जी
पूर्ण रूपेण सत्य है ।
धन्यवाद!
मैं भी प्रकृति पर ही एक छोटी सी कविता प्रस्तुत की हूँ
धन्यवाद जी
प्रकृति वास्तव में गुरु | सुंदर सृजन |
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माँ सी प्रकृति सच में सभी को वह सीख देती है
छोड़े छाप मन पर वह सदैव सबको याद रहती है
माँ से भी बड़ी गुरु वह जग को थोड़ा सा डराती है
दिखाती थोड़ी सी छवि अपनी दुनिया सीख जाती है
लगी थी जो हवा हमको उड़े जाते जिसके धोखे में
कोरोना एक आया बस रुक गया सब एक मौके में,
रुकी विकास की सब बातें रुक गए काम तो सारे
फ़ैल रहा अब भी सारे बिठा दिया बस झरोखे में |
एक झटके में तो इसने जीने का ढंग बदलवा डाला
चलते अब दूरियाँ रख कर न गले में बाहों की माला
गले मिलता भी नहीं अब कोई दूर से हाथ जोड़े अब
न कोई आता जाता अब सब दें कोरोना का हवाला |
प्रकृति गोद में अपनी प्राणियों से तो खेल करवाती
देती एक झटका जब बात है हद से जब गुजर जाती
गुरु है वही भले स्वीकारे न चाहे अब भी हठी मानव
नसीहत दे सिखाती यह किसी की तब न चल पाती |
अति उत्तम ,
बहुत बढ़िया ?????