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Comments (12)

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25 Aug 2020 04:31 PM

दैनिक दिनचर्या को साकार रूप में शब्दों में ढालकर वह सब कुछ कह दिया है जिसे हर दिन हर कोई महसूस तो करता है किन्तु अभिव्यक्त नहीं कर पाता, बहुत शानदार रचना है, श्रीमान चतुर्वेदी जी,सादर प्रणाम।

आपको सादर प्रणाम, आपका हृदय से आभार, धन्यवाद सर।

मन की मृगतृष्णा का सुन्दर भाव ।
नमन सहित बधाई सर जी ।

आपका हृदय से आभार, आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

Vr nice sir ???

नमस्कार धन्यवाद आपको भी

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद आपको

अतिसुंदर व्यंगपूर्ण प्रस्तुति।

धन्यवाद !

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

25 Aug 2020 08:57 AM

बहुत खूब ,कोरोना लोगों के पैरों में अदृश्य बेरी बांध कर पंगु बना दिया है ।
धन्यवाद !

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद

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