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Comments (10)

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1 Aug 2020 03:09 PM

????

आपको सादर अभिवादन धन्यवाद

सुंदर व्यंगपूर्ण प्रस्तुति।

धन्यवाद !

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

31 Jul 2020 07:23 PM

जय श्री राधे कृष्ण!

जयश्री राधेश्याम

31 Jul 2020 05:42 PM

चंचल मन, भांति-भांति के सपनों में खोया रहता
वो भी क्या दिन थे,जब मनचाहा घुमा-खाया,
इस कोरोना ने इन सब पर प्रतिबंध लगवाया,
दूर इसके होते-होते, मैं भजन करता कन्नैया,
बिना भोग लगाएं खुद न चखुंगा,हे नटवर नागर नाग नच्चया।

जयश्री कृष्ण

31 Jul 2020 04:06 PM

अति सुन्दर रचना।

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

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