Comments (12)
14 Jul 2020 10:53 AM
सुंदर
14 Jul 2020 12:46 AM
मोहब्बत एक पहेली है।
इसको अब तक कोई जान न पाया।
इसका क्या सिला है कोई पहचान ना पाया।
ये गम है कभी तो कभी खुशी है।
ये कभी दर्द है तो कभी हंसी है।
ये कभी होठों की मुस्कुराहट तो कभी आंखों की नमी है।
कभी दिल की जलन तो कभी राहत की ठंडक है।
कभी मिलन के पल तो कभी जुदाई की घड़ी है।
कभी खुदा की मेहर तो कभी कुदरत का कहर है।
लोग इसकी कशमकश में जिंदगी गुजारते हैं।
ताउम्र इसका फलसफा क्या है नहीं जान पाते।
श़ुक्रिया !
13 Jul 2020 11:06 PM
बहुत सुंदर भाव है
13 Jul 2020 10:14 PM
Bahut sundar rachna ji.??
वैसे तो आपने अपनी रचना में खुद ही मोहब्बत को बखूबी परिभाषित कर दिया है फिर भी मैं अपना पक्ष रख रहा हूॅं। मोहब्बत कुदरत की अनमोल देन है। यह एक दूसरे के प्रति हृदय में जागृत होनेवाली नैसर्गिक आकर्षण है। एक ऐसा आकर्षण जिसमें डूबकर लोग अपनी सुध-बुध तक खो देते हैं। उसी में अपनी दुनिया ढूंढ़ने लगते हैं। साधारणतया मनुष्य में एक ऐसी कमजोरी होती है कि वे अपने रूप, गुण, सुंदरता,
किसी कृति की प्रशंसा सुनने के आतुर होते हैं। और किसी मोहब्बत करने वाले से उन्हें ये सब एक साथ ही पूरे हो जाते हैं। जब किसी साथी को लगता है कि उसका साथी सदैव उसके हितों की ही सोचता है, दुनिया में अन्य चीजों को छोड़कर सिर्फ उसकी ही चिंता करता है तो ये सभी तत्व खुद-ब-खुद मोहब्बत के रूप में तब्दील हो जाते हैं। मोहब्बत के दो कारक परस्पर एक-दूसरे को खुद के लिए हर पैमाने पर हर पल खड़े उतरते देखना चाहते हैं। ऐसा होने पर प्रेमी-युगल खूबसूरत एहसास में जीते हैं पर इसमें कोई कोर-कसर हो जाने पर यह ग़म का कारण भी बन जाता है। बहुत ही भावपूर्ण व खूबसूरत सृजन किया है आपने। काबिले तारीफ ।
बहुत सुंदर सर ….. धन्यवाद आपका।