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Comments (8)

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12 Jul 2020 01:05 AM

Bahut sunder

12 Jul 2020 05:34 AM

बहुत बहुत धन्यवाद जी
सादर अभिनन्दन

मुझे स्वप्नलोक में खोने दो, कुछ और अंधेरा होने दो। जी भर गया दुनिया दारी से, झूंठी इस आंगनवारी से।तेज चमकती भोरों से,शोर भरी इन शामों से। कुछ पल तो मैं सपनों में ले लूं, घनघोर तिमिर जा जाने दो कुछ और अंधेरा होने दो। बहुत सुंदर सर नमस्कार धन्यवाद आपका।

11 Jul 2020 09:08 PM

वाह बहुत खूब

बहुत सुंदर

11 Jul 2020 08:44 PM

सादर आभार

हक़ीक़त के सब श़िकवे दूर कर देते हो।
जब तुम मेरे ख्व़ाबों में आकर गुफ्त़गू करते हो।

श़ुक्रिया !

11 Jul 2020 02:42 PM

वाह बहुत खूब
सादर आभार

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