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Comments (22)

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1 Jul 2020 01:50 PM

अच्छी कविता

1 Jul 2020 08:02 PM

धन्यवाद !

सारगर्भित रचना!!

30 Jun 2020 06:56 PM

धन्यवाद !

29 Jun 2020 02:18 PM

सच को व्यक्त करती रचना ।

29 Jun 2020 02:19 PM

धन्यवाद !

24 Jun 2020 01:39 PM

यथार्थ लिख दिया है आपने
धन्यवाद

24 Jun 2020 06:00 PM

धन्यवाद !

23 Jun 2020 11:23 PM

Wah adbhoot

24 Jun 2020 06:03 AM

प्रोत्साहन का धन्यवाद !

23 Jun 2020 11:21 PM

दिगभ्रम की परिणति में ऐसा महसूस किया जाता है, कमसे कम मैं तो यही समझता हूं, यदि उपयुक्त न हो तो क्षमा करें,सादर आभार।

24 Jun 2020 06:16 AM

त्रासदी के प्रभाव से किंकर्तव्यविमूढ़ स्तिथी दिग्भ्रमित होने का आभास प्रकट करती हैं और जीवन निरर्थक होने का भाव उत्पन्न करती हैं। यहां पर मैंने उस मनोदशा का चित्रण किया है जो एक नकारात्मक अनुभूति है।

23 Jun 2020 12:31 PM

एकदम सत्य वचन ?

23 Jun 2020 03:21 PM

धन्यवाद !

ओहो लाजबाव साहब वाह क्या बात है

23 Jun 2020 12:06 PM

धन्यवाद !

23 Jun 2020 08:21 AM

पूर्णरूपेण सत्य है हमने स्वयं ही नियति को निष्ठुर बनाया है ।
धन्यवाद

23 Jun 2020 09:04 AM

धन्यवाद !

23 Jun 2020 07:41 AM

धन्यवाद !

आधुनिकता में अंतर्मन का सुंदर भाव है आपको नमन।

23 Jun 2020 05:53 AM

धन्यवाद !

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