Comments (22)
30 Jun 2020 04:34 PM
सारगर्भित रचना!!
Shyam Sundar Subramanian
Author
30 Jun 2020 06:56 PM
धन्यवाद !
29 Jun 2020 02:18 PM
सच को व्यक्त करती रचना ।
Shyam Sundar Subramanian
Author
29 Jun 2020 02:19 PM
धन्यवाद !
24 Jun 2020 01:39 PM
यथार्थ लिख दिया है आपने
धन्यवाद
Shyam Sundar Subramanian
Author
24 Jun 2020 06:00 PM
धन्यवाद !
23 Jun 2020 11:23 PM
Wah adbhoot
Shyam Sundar Subramanian
Author
24 Jun 2020 06:03 AM
प्रोत्साहन का धन्यवाद !
23 Jun 2020 11:21 PM
दिगभ्रम की परिणति में ऐसा महसूस किया जाता है, कमसे कम मैं तो यही समझता हूं, यदि उपयुक्त न हो तो क्षमा करें,सादर आभार।
Shyam Sundar Subramanian
Author
24 Jun 2020 06:16 AM
त्रासदी के प्रभाव से किंकर्तव्यविमूढ़ स्तिथी दिग्भ्रमित होने का आभास प्रकट करती हैं और जीवन निरर्थक होने का भाव उत्पन्न करती हैं। यहां पर मैंने उस मनोदशा का चित्रण किया है जो एक नकारात्मक अनुभूति है।
23 Jun 2020 12:31 PM
एकदम सत्य वचन ?
Shyam Sundar Subramanian
Author
23 Jun 2020 03:21 PM
धन्यवाद !
23 Jun 2020 09:19 AM
ओहो लाजबाव साहब वाह क्या बात है
Shyam Sundar Subramanian
Author
23 Jun 2020 12:06 PM
धन्यवाद !
23 Jun 2020 08:21 AM
पूर्णरूपेण सत्य है हमने स्वयं ही नियति को निष्ठुर बनाया है ।
धन्यवाद
Shyam Sundar Subramanian
Author
23 Jun 2020 09:04 AM
धन्यवाद !
23 Jun 2020 07:29 AM
सुंदर
Shyam Sundar Subramanian
Author
23 Jun 2020 07:41 AM
धन्यवाद !
23 Jun 2020 05:50 AM
आधुनिकता में अंतर्मन का सुंदर भाव है आपको नमन।
Shyam Sundar Subramanian
Author
23 Jun 2020 05:53 AM
धन्यवाद !
अच्छी कविता
धन्यवाद !