Comments (4)
18 Jun 2020 06:23 PM
बहुत सुंदर कविता ।
धन्यवाद!
Sanjay Narayan
Author
18 Jun 2020 06:34 PM
बहुत बहुत धन्यवाद
यूं हस़रतों के दाग़ मोहब्ब़त में धो लिए।
खुद दिल से दिल की बात कही और रो लिए।
निकले थे घर से हम तो खुशी की तलाश में।
ग़म राह में खड़े थे वो साथ हो लिए।
होठों को सी चुके तो ज़माने ने ये कहा।
अजी चुप से क्यों लगी है कुछ तो बोलिए।
श़ुक्रिया !
बहुत शुक्रिया