Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (4)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

यूं हस़रतों के दाग़ मोहब्ब़त में धो लिए।
खुद दिल से दिल की बात कही और रो लिए।
निकले थे घर से हम तो खुशी की तलाश में।
ग़म राह में खड़े थे वो साथ हो लिए।
होठों को सी चुके तो ज़माने ने ये कहा।
अजी चुप से क्यों लगी है कुछ तो बोलिए।

श़ुक्रिया !

18 Jun 2020 07:48 PM

बहुत शुक्रिया

18 Jun 2020 06:23 PM

बहुत सुंदर कविता ।
धन्यवाद!

18 Jun 2020 06:34 PM

बहुत बहुत धन्यवाद

Loading...