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मैं भी यही कह रहा हूँ, पर कितने हैं, जो अपने बच्चों को हिंदी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ाते हैं ? न्यायालयों में न्यायादेश हिंदी में नहीं होते !
भाषा कोई भी हो माँ के सामन वंदनीया ही होतीं हैं। लोगों की सोच अपनी अपनी होती है । धन्यवाद !
मैं भी यही कह रहा हूँ, पर कितने हैं, जो अपने बच्चों को हिंदी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ाते हैं ? न्यायालयों में न्यायादेश हिंदी में नहीं होते !