Comments (4)
10 Jun 2020 11:09 AM
आपका कथन सत्य है जब मन ही विकारयुक्त रहेगा स्वस्थ शरीर की कामना कैसे की जा सकती है।
विकारों से स्वतंत्र मन ही स्वस्थ शरीर दे सकता है।
धन्यवाद !
Sanjay Narayan
Author
10 Jun 2020 07:43 PM
सादर आभार बंधुवर
बहुत सुंदर, है लघु कविता किन्तु कथित गूढ है ।
धन्यवाद!
जी शुक्रिया