सुन्दर लघुकथा।
धन्यवाद !
श्याम सुंदर जी,आपने जिन किन्हीं महोदय का संस्मरण प्रस्तुत किया है,वह प्रशंसनीय है, और मुझे वह दिन याद आ रहे हैं जब मैंने भी खनन माफियाओं से सीधी लड़ाई मोल ले ली थी, और उसमे प्रशासन के लोगों का भी साथ नहीं मिल पाया था, किन्तु जन आन्दोलन के माध्यम से हमने शासन-प्रशासन को झुकने पर मजबूर किया, लेकिन इसका प्रतिफल अपने लिए तो कठिन ही रहा है, मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह महोदय उस पीड़ा से मुक्त रहें, साभार।
आपकी शुभकामनाओं का स्वागत है।
जब सत्य का साथ देने के लिए संकल्पित व्यक्ति साथ रहते हैं तब सत्य की विजय अवश्य होती है। और झूठे व्यक्तियों का मनोबल गिर जाता है और सच का सामना नहीं कर पाता। यह सत्य है कि इस दिशा में कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए दृढ़ मनोबल की आवश्यकता होती है।
धन्यवाद !
प्रेरणादायक लघुकथा महोदय।
अन्ततः जीत ईमानदारी की होती है।
धन्यवाद !
शिक्षाप्रद सुंदर लघुकथा आपको नमन
प्रोत्साहन का धन्यवाद !
बहुत सुंदर लघुकथा ।
धन्यवाद
धन्यवाद !