Comments (5)
1 Jun 2020 07:14 AM
आधुनिक समाज पर कटाक्ष करती हुई व्यंग पूर्ण सुंदर प्रस्तुति।
धन्यवाद !
Seema katoch
Author
1 Jun 2020 10:44 AM
शुक्रिया जी
जीवन के विरोधाभास को कविता में समुचित प्रकार से प्रदर्शित किया जाता है तो भाव उस तरह स्पष्ट हो जाते हैं जैसे ब्लैक बोर्ड पर सफेद चाक से लिखे तथ्य ।
प्रगति के साथ मानव मूल्यों और परस्पर स्नेह और सदभाव का ह्रास हो रहा है ।बचपन जिसे प्रकृति के नैसर्गिक वातावरण में किलकारियां मारनी चाहिए, आज कृत्रिम बन्धनों में जकड़ा हुआ है। यह सत्य है किताबी शिक्षा तो प्राप्त हो रही है परन्तु सुसंस्कृत भी हो रहे हैं, इसमें सन्देह है
आज सम्पूर्ण 71 रचनाएँ और लगभग उतने ही शब्दों मे लिखी अपनी प्रतिक्रिया दुबारा से पढ़ी । अन्तिम 16 रचनाऐ बहुत कम समय में विविध विषयों पर आई जो कवियत्री के विशाल अनुभव, भावुक ह्रदय, सतत चिन्तन व गहन अध्ययन को प्रकट करता है जिससे शब्द क्रीत दास हो गये है और पाठक प्रशंसक ।बस एक बार यही कह सकते हैं ।
शब्दों से जो परोसते है बेशकीमती दस्तरखान आप….
उस नायाब गजल को बड़ी नज़ाकत से सब पढ़ते है
पहले तो खुशबू ही मोह लेती है अपनी नफासत से…
फिर अन्दाज़े बयाँ से चकाचौंध होकर सब पढते हैं।
चुन चुन कर मसालों से बनता है बेमिसाल जायका…
गजल के हर शेर में एक अजीब सी कशिश होती है
हर बार नया अर्थ, हर बार हमें नये सबक मिलते है….
हर कौर में रूहानी स्वाद की अलग कहानी होती है
कालजयी रचनाओं को पुस्तक रूप में छपवाने का विशेष अनुरोध है और नयी रचनाओं की व्यग्रता से प्रतीक्षा
आप सब रचनाओं को ध्यान से पढ़ते हैं और बहुत बिस्तार से प्रतिक्रिया भी देते हैं,,,अपना कीमती समय निकालने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद,,,, जहां तक पुस्तक की बात है तो हर लेखक का सपना होता है अपनी किताब छपवाने का और मेरा भी है,,,,प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
साहित्योपीडिया भी कुछ शुल्क लेकर पुस्तकें छापता है और अमेजन , फ्लिप्कार्ट आदि पर विपणन का कार्य भी करते हैं ।ऐसा इसी वेब साईट पर उपलब्ध है ।
हाँ जब छपवाये तो पाठकों की प्रतिक्रियाओं को भी उसमें स्थान दीजियेगा ।
सादर अभिवादन आदरणीया