Comments (4)
27 May 2020 07:07 AM
सुंदर नारी शक्ति आव्हान युक्त प्रस्तुति।
धन्यवाद !
Seema katoch
Author
27 May 2020 10:45 AM
बहुत बहुत धन्यवाद sir
हर्ष का विषय है कि ओज और शौर्य से ओतप्रोत ,वीर रस की रचनाओं में भी उतनी ही निष्णात है ,जितनी की अन्य भावों में ।व्यक्तिगत रूप से मुझे अब तक की सबसे अच्छी कविताओ में से एक।
तुम्हारा धीरज
जब खोने लगे,
और ये श्रृंगार
बोझ लगने लगे…
तुम प्रतिरक्षा करना
चुप मत रहना….
इस भाव मे जो दृढ़ता है, जो आत्मविश्वास है,सामर्थ्यता का बोध है वह नयी पीढ़ी का विपरीत परिस्थितियों में मार्ग दर्शन भी करेगा और सम्बल भी प्रदान करेगा।
अत्यंत प्रभावी और स्पष्ट सम्बोधन सर्व गुण सम्पन्न स्त्रियों को यह स्मरण कराने के लिये कि भारतीय नारियों में प्रतिकार व अन्याय का विरोध का एक नैसर्गिक अंश है जिसे राजपूताने की वीरागनाओं ने सनातन काल से प्रदर्शित किया है ।
इतना अच्छा लिखने के लिये एक बार पुनः सादर नमन।
Thankyou very much