सूक्ष्म एवं सराहनीय विश्लेषण। वास्तव में हमारी अच्छाई या बुराई का निश्चय धर्मसंकट के समय हमारे द्वारा चुने गए पथ से ही होता है। विभिन्न परिस्थितियों में मनुष्य का धर्म भी भिन्न हो जाता है।
सत्य व तार्किक।
U r a super man …???
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मैं आपके कथन से सहमत हूं। हर एक व्यक्ति में बुराइयां और अच्छाइयां विद्यमान रहती। हर एक व्यक्ति के चरित्र में बुराई और अच्छाई एक सिक्के के दो पहलू हैं। बुराइयों में अच्छाइयों की चरित्र में निहित मात्रा ही उसे अच्छा या बुरा दूसरों की दृष्टि में बनाती हैं। इन्हीं अच्छाइयों और बुराइयों को मानवीय एवं दानवीय गुणों से परिभाषित किया गया है।
किसी व्यक्ति के चरित्र का विश्लेषण करते समय हमें इन दोनों गुणों पर विचार कर निष्कर्ष निकालना चाहिए। किसी व्यक्ति चरित्र में दानवीय गुणों की अधिकता से उसके अंदर छुपे मानवीय गुणों की पहचान नहीं हो पाती जिस कारण उसे हमेशा बुरा ही बनाया जाता है। और यह उसके प्रति पूर्वाग्रह का कारण बन जाता है।
धन्यवाद !
जी बहुत धन्यवाद।
पूर्णतयः सहमत हूँ आपके विचारों से।
हमें सिक्के के दोनों पहलुओं को साफ़ आईने से देखना चाहिए, क्योंकि हर बुराई में कहीं न कहीं अच्छाई विद्यमान होती है।
उच्च कोटि की ज्ञान दायक लेखनी
सामाजिक जीवन मे खुद को एक व्यक्तित्व के रूप मे उभारने के लिए राम चरित मानस के हर एक चरित्र से स्वयं की ज्ञान कुंजन करना आवश्यक है…
धन्यवाद जवान।
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धन्यवाद भाई।
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आपका विश्लेषण सराहनीय है।
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बहुत सुंदर लिखा है
मेरी कविता ईश्वर भी पढ़ें ।