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सुन्दर वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित काया और मोहक रूप क्षणिक आकर्षण ही पैदा कर सकते हैं, लेकिन आंतरिक सुंदरता सामने वाले के मन को हमेशा के लिए वशीभूत कर लेती है।
जो लोग रूप पर टिके रह जाते हैं वे अपनी आंतरिक क्षमताओं की तलाश कर ही नहीं पाते। रूप उनके लिए ऐसा जाल बन जाता है जिसे तोड़ना आसान नहीं होता। इसके उलट शरीर से निर्विकार रहकर मन की ताकत पर एकाग्र रहने वाले लोग महानता की शिखर पर चढ़ जाते हैं। इसलिए ये कहना कदापि उचित नहीं होगा कि ठंढी में कोट या शाल लपेट लेने से तन की सुंदरता घट जाएगी।
पुरानी फिल्मों में वैजयंतीमाला और मीना कुमारी जैसी अभिनेत्रियों वाली फ़िल्मों को देखो। क्या कोट और शाल लपेटे उनकी सुन्दरता कम लगती है क्या?

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27 Nov 2021 04:49 PM

आपके कहने का मतलब ये है की महिलाये अपनी ख़ुशी के लिए अपने मन का ना करे l
मेने ये नही कहा की शाल य़ा कोट से सुन्दर नही लगते पर मुझे लगता आप लोग समाज के उस वर्ग से आते है ज़िन्हे लगता है की महिलाओ को आपके हिसाब से रहना चाहिए जो महिलाये बाहरी रुप से सुन्दर होती है आपका मतलब हैं अंदर से वो सुन्दर नही होती आपके कहने का मतलब है महिलाये बाहरी रुप से सुन्दर दिखे ही कृपया आप लेख अच्छे से पढ़े

लगता है आपने भी मेरी समीक्षा को ध्यानपूर्वक नहीं पढ़ी और समीक्षा के भाव तक नहीं पहुंची,वैसे भी खरीदे हुए महगे सुन्दर कपडो से ज्यादा बहुमूल्य शरीर है और ठंढ से बचाव के लिए उपाय करना आवश्यक है।
ठंढ किसी को यह कह कर नहीं लगती कि_ मैं ठंढ हूँ और तुम्हें लगने जा रहा हूँ।
और जब ठंढ लगकर फेफड़ा जकड़ जाए और न्यूमोनिया हो जाए तो फिर उन्हीं कोट और शाल की जरूरत पड़ती है।

27 Nov 2021 05:24 PM

फिर आप लोग अपने घर की महिलाओ को सर्दियो मे सुबह जल्दी नही उठने देते होंगे l
ये कहा लिखा है की स्वास्थ तब ही खराब होता है जब महिलाये शादी मे कोट नही पहनती

27 Nov 2021 05:29 PM

मेरा साफ साफ कहना ये हैं की जब महिलाये सर्दी गर्मी की परवाह किये बिना काम काज करती है तब कोई कुछ नही कहता पर सर्दियो की शादी मे बराबर आलोचना होती है उनकी

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