सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Author
30 Apr 2021 09:02 PM
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
इस पीड़ादायक काल में कब किसके साथ क्या हो जाए विस्मय नहीं होता, अपितु ऐसा प्रतीत होता है कि यह अपेक्षित है जीवन का भरोसा कायम नहीं रहा,हर क्षण अकुलाहट बढ़ रही है, भयावह स्थिति बन गई है, यह दौर कब थमेगा कोई नहीं जानता!बस अनुमान लगा कर टिप्पणी की जा रही है, और हर रोज एक नयी टिप्पणी सामने होती है,सादर प्रणाम।