सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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27 Nov 2020 11:28 AM
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
यह मानव का स्वभाव है हम अधिक से अधिक पाने के लोभ में पड़े रहते हैं, शायद इसी को मृगतृष्णा इसीलिए कहते हैं! मानवीय संवेदनाओं और आकांक्षाओं को परिभाषित किया गया है,सादर प्रणाम।