कटु यथार्थ को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है , देश की आम जनता त्रस्त हैं ,वहाँ पूँजीपति भ्रटाचार में संलिप्त राजनेताओं शासन तंत्र , यहाँ तक कि न्यायव्ययवस्था को संक्रमित कर अपना उल्लू सीधा करके मस्त है।
देश की अस्मिता खतरे में पड़ी हुई है , राजनेताओं को राजनीति से फुर्सत नही हैः देश आर्थिक गुलामी के कगार पर खड़ा हुआ है। अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों में भी सुदृढ.विदेश नीति के अभाव में गिरावट आयी है।
यह एक ज्वलंत सत्य है , जिसे झठे वादे और दिलासे से नकारा.नही जा सकता है।
विपक्ष भी अपनी संवैधानिक भूमिका. निभाने में आमसहमति बनाने के अभाव में पंगु बनकर रह गया है।
आपकी विवेचना का धन्यवाद !🙏💐
कटु यथार्थ को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है , देश की आम जनता त्रस्त हैं ,वहाँ पूँजीपति भ्रटाचार में संलिप्त राजनेताओं शासन तंत्र , यहाँ तक कि न्यायव्ययवस्था को संक्रमित कर अपना उल्लू सीधा करके मस्त है।
देश की अस्मिता खतरे में पड़ी हुई है , राजनेताओं को राजनीति से फुर्सत नही हैः देश आर्थिक गुलामी के कगार पर खड़ा हुआ है। अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों में भी सुदृढ.विदेश नीति के अभाव में गिरावट आयी है।
यह एक ज्वलंत सत्य है , जिसे झठे वादे और दिलासे से नकारा.नही जा सकता है।
विपक्ष भी अपनी संवैधानिक भूमिका. निभाने में आमसहमति बनाने के अभाव में पंगु बनकर रह गया है।
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