Shyam Sundar Subramanian
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26 Mar 2025 10:09 AM
कटु यथार्थ को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है , देश की आम जनता त्रस्त हैं ,वहाँ पूँजीपति भ्रटाचार में संलिप्त राजनेताओं शासन तंत्र , यहाँ तक कि न्यायव्ययवस्था को संक्रमित कर अपना उल्लू सीधा करके मस्त है।
देश की अस्मिता खतरे में पड़ी हुई है , राजनेताओं को राजनीति से फुर्सत नही हैः देश आर्थिक गुलामी के कगार पर खड़ा हुआ है। अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों में भी सुदृढ.विदेश नीति के अभाव में गिरावट आयी है।
यह एक ज्वलंत सत्य है , जिसे झठे वादे और दिलासे से नकारा.नही जा सकता है।
विपक्ष भी अपनी संवैधानिक भूमिका. निभाने में आमसहमति बनाने के अभाव में पंगु बनकर रह गया है।
आपकी विवेचना का धन्यवाद !🙏💐
वाह, क्या बात है।
बहुत बढ़िया।
अब कैसे कहूँ
न्यायालय न्याय का मन्दिर है
जहाँ परमेश्वर् निष्पक्ष न्याय करते हैं
यदि ऐसा होता तो न्यायाधीश के घर
उतना विपुल मात्रा में नोट नहीं मिलता
जिससे मिलती करोडों भूखों को रोटियाँ
उसे अग्नि के हवाले होना नहीं पड़ता।