श्रीमान जी, जब सत्ता के माध्यम से न्यायाधीशों का चयन वकीलों के मध्य से हो रहा हो, तो उन्हें अपने पक्ष के लोग ही नियुक्त करने हैं, और इन्हें
अपनी नियुक्ति के बाद अपनी तिजोरी भरनी है ताकि उच्च पद पर प्रतिष्ठित हो सकें,यह क्रम चलना है, वो दिन गये जब देशभक्ति तथा उचित न्याय के लिए जान भी जोखिम में डाल देते थे!वह दौर भी और था और लोग भी निष्ठा वाले होते थे!हमें यह त्रासदी झेलनी ही पड़ेगी!
श्रीमान जी, जब सत्ता के माध्यम से न्यायाधीशों का चयन वकीलों के मध्य से हो रहा हो, तो उन्हें अपने पक्ष के लोग ही नियुक्त करने हैं, और इन्हें
अपनी नियुक्ति के बाद अपनी तिजोरी भरनी है ताकि उच्च पद पर प्रतिष्ठित हो सकें,यह क्रम चलना है, वो दिन गये जब देशभक्ति तथा उचित न्याय के लिए जान भी जोखिम में डाल देते थे!वह दौर भी और था और लोग भी निष्ठा वाले होते थे!हमें यह त्रासदी झेलनी ही पड़ेगी!