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कल ही ‘प्रीतम का नज़राना’ ग़ज़ल-संग्रह(मेरे द्वारा रचित नौवीं पुस्तक) की प्रतियाँ प्राप्त हुई, देखकर मन भावविभोर हो गया। साहित्यपीडिया की समस्त टीम सदस्यों का हृदयतल से आभार, जिन्होंने इतने कम समय में प्रकाशन का कार्य पूरा किया। वास्तव में प्रकाशन की यह प्रक्रिया मुझे बहुत अच्छी लगी।

Once again heartily Thank-you so much Sahityapedia Team

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