भाई दिनेश आपने बहुत सुंदर तरीके से हिन्दी के प्रति अपने विचार रखे हैं भाषा कोई भी हो साहित्य का स्वरूप सभी भाषाओं में एक ही बात निहित होती है और वो है सबके हित की बात। जो आपके लेखन से सक्रिय भूमिका निभा रही है
भाई दिनेश आपने बहुत सुंदर तरीके से हिन्दी के प्रति अपने विचार रखे हैं भाषा कोई भी हो साहित्य का स्वरूप सभी भाषाओं में एक ही बात निहित होती है और वो है सबके हित की बात। जो आपके लेखन से सक्रिय भूमिका निभा रही है