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देवनागरी लिपि में आपकी प्रस्तुति :
मैंने अपने समाज में औरतों को टूटते देखा है ,
मैंने उसकी जरूरतों को पूरी करने के लिए
पल-पल उसको मर्द के सामने झुकते देखा है
मैंने देखा है अपनी ख्वाहिशों को कैसे मारती है वो,
मैंने हर रोज पैसे के लिए पति पत्नी को झगड़ते देखा है,
मैंने दर्द को खंजर बनते देखा है,
मैं हर सवेरे को प्यार के लिए तरसते देखा है,
ये भूख नहीं है नारी के अभिमान की ,
ये उसके स्वाभिमान की गुहार है ,
जिसे हर गली चौराहे पर मैंने उसको अपनों के हाथों कुचलते देखा है ,
अनुरोध है कि प्रस्तुति देवनागरी लिपि में करें।
काव्य रचना में शब्द विन्यास पर ध्यान दे !
समाज नारी वेदना एवं अस्मिता हेतु प्रकट भाव उत्तम हैं। प्रयास जारी रखें !
शुभकामनाओं सहित आभार ! 🌷

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