जिसें अपना समझों वहीं पराया है रिश्तों का क्या,सारी दुनिया ही मोह-माया हैं।। बहुत सुन्दर भाव प्रकट किया है आपने, धन्यवाद
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जिसें अपना समझों वहीं पराया है
रिश्तों का क्या,सारी दुनिया ही मोह-माया हैं।।
बहुत सुन्दर भाव प्रकट किया है आपने, धन्यवाद