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दुष्ट प्रवृत्ति के व्यक्ति को समझाने पर वह अपने को ज्यादा महत्व पूर्ण समझने लगता है! ऐसे लोगों के साथ कहा गया है श्ठम- शाठ्यम समाचरेत!यानि जैसा उसका आचरण है उसी तरह से उसका प्रतिकार करना चाहिए! जो कि किया नहीं जा रहा! सादर अभिवादन सहित।

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आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

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