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Comments on पागल दिल
In reply to
Ajit Kumar "Karn"
Ray's Gupta
Author
5 Nov 2021 08:38 AM
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जीवन तो हजारों उलझनों में उलझा रहता है एक दिल ही है जो इसके वावजूद भी आजाद ही जाता है
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जीवन तो हजारों उलझनों में उलझा रहता है एक दिल ही है जो इसके वावजूद भी आजाद ही जाता है