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गलतफहमियां काश ! दूर हो पातीं
न हम बिलखते रोते, न तुम जातीं,
प्यार भरपूर था हम मे औ तुम मे भी
हम समझे काश ! तुम भी समझ पाती।
माफी चाहता हूं एक बार फिर आपकी रचना से जुड गया। कमाल है !

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धन्यवाद जी

बहुत खूब

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