भक्तियोग का मार्ग कभी अकर्मण्यता नहीं सिखलाती,
मैंने आपकी रचना अच्छे से पढ़ी है, रचना सुन्दर है, कुछ शब्द प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहे हैं? एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है ईश्वर को जानने के लिए,
लेकिन किसी की श्रद्धा,भक्ति को चुनौती नहीं दी जा सकती चाहे वो पूजा पाठ करे या अगरबत्ती दिखलाये, या वो मंदिर जाकर अपनी भक्ति का मार्ग प्रशस्त करे।
भक्तियोग का मार्ग कभी अकर्मण्यता नहीं सिखलाती,
मैंने आपकी रचना अच्छे से पढ़ी है, रचना सुन्दर है, कुछ शब्द प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहे हैं? एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है ईश्वर को जानने के लिए,
लेकिन किसी की श्रद्धा,भक्ति को चुनौती नहीं दी जा सकती चाहे वो पूजा पाठ करे या अगरबत्ती दिखलाये, या वो मंदिर जाकर अपनी भक्ति का मार्ग प्रशस्त करे।