Ajit Kumar "Karn"
Author
1 Aug 2021 09:00 AM
बढ़िया समीक्षा। बहुत बहुत धन्यवाद ।
सटीक और सुंदर कथन,
लेकिन समीक्षा करने वाले समीक्षक का स्तर रचनाकारों के स्तर से ऊँचा होना चाहिए,
जिसे ग़ज़ल विधा की कोई जानकारी ही नहीं हो, वो भला ग़ज़ल की समीक्षा कैसे कर सकता, इसी तरह जिसे मुक्तक के मात्राओं का ज्ञान न हो वो भला मुक्तक की क्या समीक्षा कर पाएगा?
दरअसल समीक्षा करना बहुत ही कठिन कार्य है और इसमें समीक्षक को रचनाएं को कई बार पढ़कर एवं सूक्ष्म अवलोकन कर रचनाकारों के भाव तक पहुंचना आवश्यक होता है,
इसलिए तत्कालिक में लोग मनोबल बढ़ाने हेतु प्रशंसा के दो शब्द जोड़ देते हैं,
प्रशंसा और समीक्षा दोनों को एक साथ जोड़कर देखना उचित नहीं होगा।