बेहद भावपूर्ण । जितनी बातें बोल के स्पष्ट नहीं की जा सकती उससे ज़्यादा तो कभी-कभी मौन ही कह जाती हैं। और जो बातें कभी-कभी जोड़-घटाव, नाप-तोल से नहीं हल की जा सकती वो कभी-कभी अगणित ही हल हो जाती हैं। यही तो ज़िंदगी है और ज़िंदगी तो अनिश्चितताओं से भरी होती ही हैं। बेहतरीन प्रस्तुति ।
बेहद भावपूर्ण । जितनी बातें बोल के स्पष्ट नहीं की जा सकती उससे ज़्यादा तो कभी-कभी मौन ही कह जाती हैं। और जो बातें कभी-कभी जोड़-घटाव, नाप-तोल से नहीं हल की जा सकती वो कभी-कभी अगणित ही हल हो जाती हैं। यही तो ज़िंदगी है और ज़िंदगी तो अनिश्चितताओं से भरी होती ही हैं। बेहतरीन प्रस्तुति ।