सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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1 May 2021 10:27 AM
सही कहा आपने आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर
श्रमिकों के काम दाम चुकाया जाता है, उसके काम का मुल्य नहीं! उनके द्वारा किया गया कार्य सामान्य तह: यदि हम करने लगते हैं तब उसकी कीमत नजर आती है! एक मई एक प्रतीक है उनके बलिदान का!शेष दिन तो वह सिर्फ दुत्कार का सामना करते रहते हैं, खुद एवं परिवार के भरण-पोषण के लिए! सादर प्रणाम।