Bhartendra Sharma
Author
5 Feb 2021 11:27 PM
बहुत बहुत आभार मिश्र जी आपके स्नेह के लिए।
अद्भुत , बहुत सुंदर आदरणीय।
विशेषकर
हे प्रेम सखी, हे मृगनयनी, हे चित्त चोर, कोकिल वयनी..
चैन चोर, हे निद्रा अरि, हे मधुर स्वप्न, हे दिल दहनी…
मुझे बहुत पसंद आई