दरअसल हमारे देश में एक ही लाठी से सभी को हाँँक देने की परिपाटी हो गई। किसी वर्ग विशेष को बिना सोचे समझे भ्रष्ट करार दिया जाता है। बिना किसी पदासीन व्यक्ति विशेष का आकलन किए , जो केवल कही सुनी बातों पर आधारित रहता है । आजकल सोशल मीडिया में इस प्रकार का प्रचार जोरों से होता है , लोगों में भीड़ की सोच हावी हो गई है , और व्यक्तिगत सोच का अभाव हो गया है ।
दरअसल हमारे देश में एक ही लाठी से सभी को हाँँक देने की परिपाटी हो गई। किसी वर्ग विशेष को बिना सोचे समझे भ्रष्ट करार दिया जाता है। बिना किसी पदासीन व्यक्ति विशेष का आकलन किए , जो केवल कही सुनी बातों पर आधारित रहता है । आजकल सोशल मीडिया में इस प्रकार का प्रचार जोरों से होता है , लोगों में भीड़ की सोच हावी हो गई है , और व्यक्तिगत सोच का अभाव हो गया है ।
धन्यवाद !