Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jan 2021 02:16 PM

हिन्दी दिवस पर आपकी लेखनी से जो शब्द आकार लेकर सामने आए हैं, उनमें वस्तु परक यथार्थ की अभिव्यक्ति प्रकट होती है, सरकारी तामझाम और नौकर शाह ने समाज में अपनी हैसियत को बनाए रखने के लिए अवेहलना की तो राजनीतिक दलों ने अपने स्वार्थ के लिए इससे परहेज करने का अपराध किया है, लेकिन जन सरोकारों से जुड़े लोगों ने विश्राम नहीं किया और इसके प्रसार में जुटे रहे हैं जिसका सुपरिणाम अब गाए बगाये दिखाई दे रहा है, और शायद भविष्य में इसे मातृभाषा का सम्मान जन जन की जुबान पर पर बोलने से मिल पाएगा! सादर अभिवादन श्रीमान चतुर्वेदी जी।

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

सच कहा आपने, सच्चाई से हिंदी सेवा करने वाले चुपचाप अपने काम में लगे रहते हैं और चाटुकार लोग शासन का बजट हिंदी प़सार के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं। आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर।

Loading...