सर वोट मैंने बहुत पहले ही कर दिया था।
धन्यवाद की जरूरत नही सर, अन्यथा मेरा वोट मेरी कूटनीति हो जाएगी , मैंने आपकी कविता को वोट नही किया मैंने अपनी खुशी को वोट किया जो आपकी कविता पढ़ने के वाद मिली।आपको लगता है कि वो आपकी कविता है ,वो आपकी थी जब तक आपके अन्तःहृदय में थी अब आपकी नही है आपके कारण है ।
वोट माँगना और वोट के लिए धन्यवाद देना एक सामाजिक सदाचार हो सकता है किंतु योग्यता के लिए इनका कोई मतलब नही जैसे आप हीरे की आप सूरज की या आप किसी निकृष्ट विचार की तारिफ़ करे या ना करे उनपर कोई फर्क नही पड़ता । आपको उनसे ख़ुशी मिली इससे भी कोई फर्क नही आपको दुःख हुआ इस से भी कोई फर्क नही यही प्राकृतिक आजादी है ।
मैं इसी में विस्वास करता हूँ ,सब को अपने अनुसार सोचने का अधिकार उसी के अनुसार प्रतिक्रिया करने का।
हमें नेता बनकर लोगों के द्वार द्वार जाकर वोट नही मांगना चाहिए क्योंकि इससे व्यक्ति की स्वतंत्र बाधित होती है और प्रतियोगिता से पारदर्शिता समाप्त हो जाती है
वोट देने के लिए धन्यवाद करना एक शिष्टाचार है। नवीन उभरते कवियों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर सार्थक टिप्पणी करने की आवश्यकता होती है। वोट मांगना या देना औपचारिक मात्र है। यदि प्रतियोगिता का आधार गुणवत्ता ना हो तो वह प्रतियोगिता निरर्थक प्रयोजनहीन सिद्ध होगी। मेरे विचार से साहित्य पीडिया मंच इस विषय में वोटों को आधार न रखकर गुणवत्ता पर आधारित रचनाओं का चयन करेगा जैसा कि नियम और शर्तों में उल्लेख किया गया है। अतः वोटों के लिए अंधाधुंध दौड़ निरर्थक है। यदि रचना में गुणवत्ता है तो वोटों का कोई महत्व नहीं रह जाता है। जहां तक मेरा प्रश्न है मैं गुणवत्ता पर विश्वास रखता हूं वोट करने का अनुरोध महज औपचारिकता है।
धन्यवाद !
सही कहा ।
मेरे विचारो पर आप की सहमति का स्वागत है !
धन्यवाद !
मेरी प्रस्तुति को वोट करने का हार्दिक आभार !