सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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3 Jan 2021 04:30 PM
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
मनुष्य के आचरण एवं हाव भाव ने जब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी तो उसने अपने स्वभाव में परिवर्तन करके हमें हिदायत देते हुए संकेत किया है, किन्तु अति महत्वाकांक्षी मनुष्य सुधरने की राह पर चलने को तैयार नहीं है! सादर अभिवादन श्रीमान चतुर्वेदी जी।